किसी के प्यार के,धोखे में आकर सबकुछ खोकर,गर्भ पाकर मैं बदचलन,समाज की बीमारी हूँ क्योंकि मैं नारी हूँ पैसों के लिए किसी ने घर से निकाला अन्याय का फिर मुझपे चढ़ा माला दर दर ठोकर खाने को लाचारी हूँ क्योंकि मैं नारी हूँ इतिहास के पन्नो पे दर्ज मेरे किस्से लज्जा,यातना, पीड़ा सब मेरे हिस्से कभी द्रौपदी, कभी सीता बनके,हर युग में हारी हूँ क्योंकि मैं नारी हूँ Pc-google