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अभी अभी बिछड़े हैं तुमसे धीरे धीरे भूलेंगे ! जख्म अ

अभी अभी बिछड़े हैं तुमसे धीरे धीरे भूलेंगे !
जख्म अभी ताजे है दिल के धीरे धीरे सूखेंगे !!
अभी तो आँखे भरी हुई हैं बहती हैं झरने सी !
अभी तो दिल में उठी कसक है दीपक के बुझने की !
अभी तो सूखे पत्तो जैसे दिल के अरमान बिखरे !
अभी हैं चुभते पलको में टूटे सपनो के टुकड़े !
अभी अभी तो आह है निकली दर्द भरे ज़ख्मो से !
अभी कोई उम्मीद नही है जीवन के लम्हो से !
अभी छुपा है चाँद मेरा बादल की चादर पीछे !
अभी अंधेरी रात है घेरे अपनी आँखे भींचे !
अभी तो तेरी खुशबू भी गई नही कमरे से !
अभी तो गूंज रही है बाते तेरी हर कोने से !
अभी अभी बस्ती है उजड़ी पागल से इस दिल की !
अभी तो ऋतु भी नही है बदली मौसम के पतझड़ की !
अभी तो आँखे नही है भूली ख्वाब नए सजाना !
अभी तो इनको उम्मीदे है होगा तेरा आना !
अभी अभी तो दर्द बढ़ा है हाँ  तेरे जाने का !
लगता है इक उम्र रहेगा गम ना तुझे पाने का !
हाथों की रेखा ना बदली बदल गई सूरत है !
खुदा समझ के जिसको पूजा वो बस इक मूरत है !
अभी अभी आँखों से ओझल हुआ कोई अपना है !
अभी अभी दिल का प्यारा सा टूटा कोई सपना है !

©Rajesh Kumar Pal abhi abhi
अभी अभी बिछड़े हैं तुमसे धीरे धीरे भूलेंगे !
जख्म अभी ताजे है दिल के धीरे धीरे सूखेंगे !!
अभी तो आँखे भरी हुई हैं बहती हैं झरने सी !
अभी तो दिल में उठी कसक है दीपक के बुझने की !
अभी तो सूखे पत्तो जैसे दिल के अरमान बिखरे !
अभी हैं चुभते पलको में टूटे सपनो के टुकड़े !
अभी अभी तो आह है निकली दर्द भरे ज़ख्मो से !
अभी कोई उम्मीद नही है जीवन के लम्हो से !
अभी छुपा है चाँद मेरा बादल की चादर पीछे !
अभी अंधेरी रात है घेरे अपनी आँखे भींचे !
अभी तो तेरी खुशबू भी गई नही कमरे से !
अभी तो गूंज रही है बाते तेरी हर कोने से !
अभी अभी बस्ती है उजड़ी पागल से इस दिल की !
अभी तो ऋतु भी नही है बदली मौसम के पतझड़ की !
अभी तो आँखे नही है भूली ख्वाब नए सजाना !
अभी तो इनको उम्मीदे है होगा तेरा आना !
अभी अभी तो दर्द बढ़ा है हाँ  तेरे जाने का !
लगता है इक उम्र रहेगा गम ना तुझे पाने का !
हाथों की रेखा ना बदली बदल गई सूरत है !
खुदा समझ के जिसको पूजा वो बस इक मूरत है !
अभी अभी आँखों से ओझल हुआ कोई अपना है !
अभी अभी दिल का प्यारा सा टूटा कोई सपना है !

©Rajesh Kumar Pal abhi abhi