#OpenPoetry दस्तूर है ये जीवन का...! ज़िन्दगी की कसौटी से गुजरेंगे जब सारे रिश्ते, कुछ निकलेंगे ख़रा सोना, कुछ का पानी उतरेगा रहेंगे कुछ साथ खड़े, कुछेक का साथ छूटेगा कुछ चलेंगे हमराही बनकर, कुछ साथ रहकर छलेंगे कुछ चाहेंगे बँधन में बंधना, कुछेक बेड़िया तोड़ेंगे दस्तूर है ये जीवन का...! कुछ थे जो अपने साथ छोड़ गए, कुछ रूठे रह गए बातों ही बातों में बातें कम हो गए हरेक पल साथ निभाने वाले इक पल में दूर हो गए दस्तूर है ये जीवन का...! थे कभी हम भी शान-ए-महफ़िल अब जीवन की राह में भटके हुए पथिक हैं थे कभी हम खुशमिजाज अब तन्हा अकेले रोते हैं ख़ता तो न हुई हमसे फिर भी अकेला रहने को मजबूर हो गए दस्तूर है ये जीवन का...! रुलायेगो ये दुनिया रोने का नहीं, ज्यादा सोंचने का नहीं सब्र रख, बदलेगी क़िस्मत हिम्मत खोने का नहीं वक़्त है, बेशक़ बदलेगा, इक दिन होंगे सितारे बुलंद दुनिया सर झुकायेगी, वक्त भी कदम चूमेगा दस्तूर है ये जीवन का...! @Ravishing_Roshan #My_Quites #दस्तूर_है_ये_जीवन_का #MyBest@1