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White ”न मेरा जन्म, न गर्भ बसेरा, बालक होय दिखलाया

White ”न मेरा जन्म, न गर्भ बसेरा, बालक होय दिखलाया
काशी नगर जलकमल पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया।”

लगभग 626 वर्ष पूर्व 1398 में कबीर साहेब जी सतलोक से आकर काशी शहर के लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर प्रकट हुए। इसी यादगार को प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष कबीर प्रकट दिवस 22 जून को मनाया जा रहा है। इस उपलक्ष्य में तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में Satlok Ashram Bhiwani [HR] में 20-22 जून को 3 दिन परमात्मा की अमरवाणी की अमृतवर्षा होगी, नि:शुल्क मोहन भंडारा व नि:शुल्क नामदीक्षा, आध्यात्मिक प्रदर्शनी, दहेज मुक्त रमैनी(विवाह), रक्तदान, देहदान, नेत्र जाँच शिविर आदि कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। समस्त विश्व को इस त्रिदिवसीय दिव्य समागम में सादर आमंत्रित किया गया है। आप भी आएं और परिवार को साथ में अवश्य लाएं तथा इस दिव्य पर्व का आनन्द उठाएं: https://bit.ly/4co8PMu

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