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हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली, कुछ यादें मेरे

हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली,
कुछ यादें मेरे संग पाँव पाँव चली,
सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ,
वो ज़िन्दगी ही क्या जो छाँव-छाँव चली।

©Sujeet Verma #sujeetverma 

#standAlone
हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली,
कुछ यादें मेरे संग पाँव पाँव चली,
सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ,
वो ज़िन्दगी ही क्या जो छाँव-छाँव चली।

©Sujeet Verma #sujeetverma 

#standAlone
sujeetverma0780

Sujeet Verma

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