"कान्हा तेरे प्यार में"
गोपियों संग लीला रचाई थी तुमने,
बृज में होली मनाई थी तुमने,
हो कहाँ अब और किस खुमार में,
कहीं न मिलते हो इस दुनिया के बाजार में,
मैं तड़पता हूँ यहाँ तेरे इंतज़ार में,
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