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टूट कर चाहो उसे,वो चाहे सर पे बैठा है, बेटा मेरा ब

टूट कर चाहो उसे,वो चाहे सर पे बैठा है,
बेटा मेरा बड़ा हुआ, वो घर में बैठा है.
जान-ए-शाम, सुबह, दोपहर कर के बैठा है,
बेटा मेरा बड़ा हुआ, हज-तीर्थ कर के बैठा है.
नीम-शब तू आती जाती, घर तेरा कोठा है,
बेटा मेरा पढ़ा लिखा, शराफत लेके बैठा है.
ना शर्म, ना लिहाज तुझे! 
ना शर्म ना लिहाज तुझे! 
बताके ये जाहिल सी बात मुझे... 
बता मेरी औलाद, तेरा क्या बिगाड़ बैठा है! 
टूट कर चाहो उसे, वो चाहे सर पे बैठा है.
बेटा मेरा बड़ा हुआ,लिहाज ले के बैठा है.
......... 
विधवा घर मजदूर, बदचलन बोलेगा जरूर.
हर घर राम,पर सड़क पे कैसे रावण बैठा है? 
टूट कर चाहो उसे, वो चाहे सर पे बैठा है.
हम समझते है, माँ! बेटा दिल में बैठा है.
सौ बार भी कह दू, वो दर्द कम नहीं होगा
देखे वो उस निगाह, लगे हैवान बैठा है!...

©Shripnya Pandey
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shripnyapandey4406

Shri

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