ख्वाब हाथों से छूटने को थे, हसरतों के गुबार फूटने को थे, गर वक्त रहते ना संभाला होता इन राहों ने, तो ये हसीन मौसम भी बस मुझसे रूठने को थे, जैसे अब्र-ए-अश्क मुझपर टूटने को थे..... #ख्वाब #हसरत #गुबार #हसीन_मौसम #राहें #अब्र_ए_अश्क