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आखिर क्या कमीं हैं मुझमें जो हर रिश्ते में हार जात

आखिर क्या कमीं हैं मुझमें जो हर रिश्ते में हार जाती हूँ..
हर बार कोशिश करती हूँ , खुद को अच्छा साबित करने की और हर बार हार जाती हूँ ..
  लोग हर बार ठुकराते हैं मैं हर बार संभल जाती हूँ..
आखिर क्या कमी हैं मुझमें मैं खुद नहीं समझ पाती हूँ...
दुनिया के हर दस्तूर को जाना हैं
घर के हर रीति_रिवाज को माना हैं
  सोचा था अपनों की खुशी में अपनी खुशी को पाना 
फिर भी मैं क्या गलती कर जाती हूँ 
आखिर क्या कमी हैं मुझमें ये खुद नहीं जान पाती हूँ 
आँखो से बह रहे आंसुओ को कुछ यूँ छिपा लेती हूँ 
गलती ना होते हुए भी सब कुछ सिर झुका कर सुन लेती हूँ  
आखिर क्या गलती हैं जनाब ये कभी समझ नहीं पाती हूँ ...  
सोचती हूँ बहुत बहादुर हूँ लेकिन ये मोम की गुडिया भी पिघल जाती हैं 
तकलीफ में होती हूँ फिर भी मुस्करा लेती हूँ ....
आखिर क्या कमी हैं मुझमें मैं खुद नहीं समझ पाती हूँ...

©Its_neha_Agnihotri❤️ #ektakleef 💔
आखिर क्या कमीं हैं मुझमें जो हर रिश्ते में हार जाती हूँ..
हर बार कोशिश करती हूँ , खुद को अच्छा साबित करने की और हर बार हार जाती हूँ ..
  लोग हर बार ठुकराते हैं मैं हर बार संभल जाती हूँ..
आखिर क्या कमी हैं मुझमें मैं खुद नहीं समझ पाती हूँ...
दुनिया के हर दस्तूर को जाना हैं
घर के हर रीति_रिवाज को माना हैं
  सोचा था अपनों की खुशी में अपनी खुशी को पाना 
फिर भी मैं क्या गलती कर जाती हूँ 
आखिर क्या कमी हैं मुझमें ये खुद नहीं जान पाती हूँ 
आँखो से बह रहे आंसुओ को कुछ यूँ छिपा लेती हूँ 
गलती ना होते हुए भी सब कुछ सिर झुका कर सुन लेती हूँ  
आखिर क्या गलती हैं जनाब ये कभी समझ नहीं पाती हूँ ...  
सोचती हूँ बहुत बहादुर हूँ लेकिन ये मोम की गुडिया भी पिघल जाती हैं 
तकलीफ में होती हूँ फिर भी मुस्करा लेती हूँ ....
आखिर क्या कमी हैं मुझमें मैं खुद नहीं समझ पाती हूँ...

©Its_neha_Agnihotri❤️ #ektakleef 💔