बिल्कुल साधारण मगर महत्वपूर्ण जब अंधेरा छाये... कुछ समझ ना आए, सच्चे मन से , ईश्वर से प्रश्न कीजिए, तुरन्त उत्तर का चाह छोड़.… कुछ प्रतीक्षा कीजिए। प्रतीक्षा में , आंखे खुली रखना देखने को, कान खुले रखना सुन लेने को। मन ..... मनमानी करता है प्रतिक्षा में, मौन से देखना देखते रहना मन को पुचकारना इसे, मान जाता है मन, इसी मौन में.... कहीं ना कहीं से प्रश्न उत्तर पाता है, बस..... कुछ समय दीजिए, उतर को आने को अवश्य आयेगा।। बिल्कुल साधारण मगर महत्वपूर्ण जब अंधेरा छाये... कुछ समझ ना आए, सच्चे मन से , ईश्वर से प्रश्न कीजिए, तुरन्त उत्तर का चाह छोड़.… कुछ प्रतीक्षा कीजिए।