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दर्द में डूबे हुए नग्मे हज़ारों हैं मगर, साज़-ए-द

दर्द में डूबे हुए नग्मे हज़ारों हैं मगर,

साज़-ए-दिल टूट गया हो तो सुनायें कैसे...

बोझ होता जो ग़मों का तो उठा भी लेते,

ज़िंदगी बोझ बनी हो तो उठायें कैसे...!

©Khan Sahab
  #जिंदगी बोझ बनी हो तो....
mohdsharifkhan5110

Khan Sahab

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#जिंदगी बोझ बनी हो तो....

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