जब नज़रे मिली निगाहों से, एक कसक उठी दिल की राहों से ! एक जुर्म जो हुआ तो होता चला गया, और वो क़त्ल करते रहे इन निगाहों से ! क्या जलवे है क्या अदा है, ख़ुद को देखो मिरी निगाहों से ! इस क़दर आ जाते हो सामने, दिल को बहलाते है गुनाहों से ! ©Er.Amit Kumar #EVENING WITH A CUP OF COFFEE