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आज हम आपको नाग देवता के बारे में बताने जा रहे हैं

आज हम आपको नाग देवता के बारे में बताने जा रहे हैं हमारी संस्कृत में आदि काल से ही नाग को अत्याधुनिक आस्था और विश्वास के एक कार्यशील प्रतीक के रूप में दर्शाया गया है युगो से भारत में नाग देवता की महिमा का गायन होता रहा है विविधताओं के साथ-साथ देश के सभी भागों में ना को प्रतीकात्मक स्वरूप प्रदान किया गया है अनेका अनेक कथाओं में नाग के पुरोहित अस्तित्व होने से शहर मान्यताओं का कर्म अनवर तक चलता रहा है जीवन दर्शन में नाग का संकेत परंपरागत व्यवहारों से प्रदर्शित किया जाना अनिवार्य सा हो गया है देव आदि देव महा शंकर अपने गले में धारण करते हो वह पावन एवं पूजनीय हो जाता है इसलिए भगवान शिव के पवित्र महासभा वन में शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पूजा का विधान है भगवान शेष नारायण के बाहर आ स्वरूपों की भी स्तुति वंदना नाग पंचमी को होती है इसी विषय दिवस पर भी जो मानव शुद्ध मन से उनका सत्कार करता है उसे अनेक कवि है या क्षति की भावना शीश नहीं रहती इससे मन की कई आशंकाएं मिट जाती है विश्व समुदाय को आश्चर्य है कि भारत में नागों की पूजा होती है क्योंकि वह इसके अत्यधिक दर्शन को नहीं जानते केवल भौतिक पहचान तक सीमित है नाग देवता माता लक्ष्मी के सेवक हैं अमूल्य नागमणि एवदेव निर्धनों की पहेली है महात्माओं ने नाग के किसी भी स्वरूप में शत्रु भाव का निषेध किया है धर्म वचन है कि उसे शत्रु मारने से अशुभ और मित्र मानने से शुभ होता है इच्छाधारी नाग का वर्णन धार्मिक क्रियाओं के निरूपण को व्यक्त करते हैं सत्य मार्गी प्राणियों के लिए सहायक नाग देवता के सिंगार हैं काल के घोतक नाग देवता महाकाल के आभूषण है जो सत्य और शेष के संबंध को प्रकट करता है विश्व को कंठ में धारण करने वाले नीलकंठ ने विश्व धारी वासुकी को अपने कंठ माला बनाकर बड़ा संदेश दिया है कि राम भक्तों को विष व्यापत नहीं हो सकता

©Ek villain #nagdev 

#Sawankamahina
आज हम आपको नाग देवता के बारे में बताने जा रहे हैं हमारी संस्कृत में आदि काल से ही नाग को अत्याधुनिक आस्था और विश्वास के एक कार्यशील प्रतीक के रूप में दर्शाया गया है युगो से भारत में नाग देवता की महिमा का गायन होता रहा है विविधताओं के साथ-साथ देश के सभी भागों में ना को प्रतीकात्मक स्वरूप प्रदान किया गया है अनेका अनेक कथाओं में नाग के पुरोहित अस्तित्व होने से शहर मान्यताओं का कर्म अनवर तक चलता रहा है जीवन दर्शन में नाग का संकेत परंपरागत व्यवहारों से प्रदर्शित किया जाना अनिवार्य सा हो गया है देव आदि देव महा शंकर अपने गले में धारण करते हो वह पावन एवं पूजनीय हो जाता है इसलिए भगवान शिव के पवित्र महासभा वन में शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पूजा का विधान है भगवान शेष नारायण के बाहर आ स्वरूपों की भी स्तुति वंदना नाग पंचमी को होती है इसी विषय दिवस पर भी जो मानव शुद्ध मन से उनका सत्कार करता है उसे अनेक कवि है या क्षति की भावना शीश नहीं रहती इससे मन की कई आशंकाएं मिट जाती है विश्व समुदाय को आश्चर्य है कि भारत में नागों की पूजा होती है क्योंकि वह इसके अत्यधिक दर्शन को नहीं जानते केवल भौतिक पहचान तक सीमित है नाग देवता माता लक्ष्मी के सेवक हैं अमूल्य नागमणि एवदेव निर्धनों की पहेली है महात्माओं ने नाग के किसी भी स्वरूप में शत्रु भाव का निषेध किया है धर्म वचन है कि उसे शत्रु मारने से अशुभ और मित्र मानने से शुभ होता है इच्छाधारी नाग का वर्णन धार्मिक क्रियाओं के निरूपण को व्यक्त करते हैं सत्य मार्गी प्राणियों के लिए सहायक नाग देवता के सिंगार हैं काल के घोतक नाग देवता महाकाल के आभूषण है जो सत्य और शेष के संबंध को प्रकट करता है विश्व को कंठ में धारण करने वाले नीलकंठ ने विश्व धारी वासुकी को अपने कंठ माला बनाकर बड़ा संदेश दिया है कि राम भक्तों को विष व्यापत नहीं हो सकता

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