मेरी ख़ामोशी को अपने, गंदे अल्फाज़ों से न तौल। अपनी नीयत साफ रख, बेवजह तू कुछ मत बोल। देख ली तेरी नेकदिली और बुझदिली को क़रीब से। नफ़रतों का ज़हर, तू किसी के ज़ेहन में मत घोल। तेरी सोच में भरी हुई गंदगी को मैंने देख लिया है। क्या है तेरी फ़ितरत में, ये भी मैंने तौल लिया है। गंदी मानसिकता से, मत निकाल किसी का मोल। नफ़रतों का ज़हर, तू किसी के ज़ेहन में मत घोल। जो दिल में है तेरे, तेरी नीयत में साफ झलकता है। किस मिट्टी का बना है, आख़िर क्यूँ ऐसा करता है। किसी की अस्मत पे तू अपनी बुरी नज़र मत खोल। नफ़रतों का ज़हर, तू किसी के ज़ेहन में मत घोल। ♥️ Challenge-796 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।