सफ़र... बाकी है कुछ सपनो को उड़ान देना। क्योंकि फ़रिश्ते है हम यह उनको बता देना।। काफिले बहुत मिलेंगे इस मंज़िल में। यह इनको इतलाह कर देना। क्योंकि मुसाफ़िर जुड़ते है इस तरह के मंजर में।। यह इनको साझा कर देना।। जात पात ऊँच नीच का नही करते हम आंकलन। क्योंकि भक्त है हम उस महानायक के करते है हम व्यवहार का संकलन।। है रास्ते भिन्न भिन्न मानो कठोर पर्वत जैसे। है चलना पथ पर तो सोचना होगा मानो यंत्र जैसे।। हुआ है विचलित सा मन। न जाने किया होगा उस क्षण।। हौसला दठे रखे हुए है उस पण तक।। क्योंकि हासिल करना है सफ़र उस क्षण तक।। बस चलते जाना है!चलते जाना है उस क्षण तक जहाँ मुसाफ़िर बनते जाते है उस काफिलाना अंश तक माना मंज़िल अभी दूर है लेकिन हासिल कर लूंगा मुकाम(मंज़िल)उस क्षण तक।जहाँ ठोकरे खाई है उस कण तक अभी थका नही हूँ। जारी रहेंगी यह कहानी आख़री अंत तक क्योंकि अभी थका नही हूँ सफ़र.....to be continued... @Aakash #jawa सफ़र... continued