तुम जिसे चाहो तुम्हें ना चाहे वो! तो रात को बिना चांद के हैरानी कैसी!! तारों से दिल लगा ले रात चमकता आंचल तो वही है! फिर यह मायूसी कैसी!! ना लगाए दिल तो भी क्या वो तो खुद में पूरी है! फिर यह नादान अधूरी कहानी कैसी!! उसके होने से कहीं चमकते हैं चांद और तारे! खुद के अस्तित्व को खो दे उसकी यह नादानी कैसी!! तुम जिसे चाहो वह ना चाहे तुम्हें। तो रात को बिना चांद के हैरानी कैसी।।? #selfdiscovery