खुद की ही परछाइयों से छुपाता रहा अपनी बुराइयों को झूठ के गंदे दलदल में कोसता रहा हमेसा अपनी तकदीर को कभी खुद की दुनिया को अपने मन की आंखों से नही देखा बस भागता रहा खुद से खोदता चला गया क़ब्र बीते यादों का कभी पीछे मुड़कर किसी को गले नही लगाया दो पल रुक कर अपनी कहानी ना बयाँ कर पाया बस भागता गया खुद से कभी किसी के कंधे पर सर रख कुछ खुशी कुछ गम के आँसू ना बहा पाया गर कोई और होता तो उसको चकमा दे भाग जाता पर मै तो खुद से ही लड़ रहा हूं खुद की ही परछाईयों से भाग रहा हूं अब ना मौत की कोई गुंजाइश ना जीने की कोई आस बस अभी भी भाग ही रहा हूं खुद से छुपते फिर रहा हूं खुद की ही परछाईयों से । छुपते फिरते रहे आख़िर किस से... #छुपतेरहे #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi