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मनीषियों की सम्मतियाँ यह व्यक्ति करती है कि अपनी च

मनीषियों की सम्मतियाँ यह व्यक्ति करती है कि अपनी चमक-दमक सुन्दरता का प्रदर्शन करती है। देखें जो सौंदर्य प्रसाधनों पर करोड़ों लोग खर्च कर रहे हैं, वे दुश्चिन्ताओं और दुर्गुणों के अंबार ही बने हुए हैं। इन कृत्रिम उद्यमियों की मांग में वृद्धि जारी है, अलग-अलग व्यवसायों में धन लगता है। जिस धन से योग्यताएं बढ़ सकती हैं, शिक्षा का प्रसार और स्वास्थ्य संगठनों के लिए शक्ति संग्रह किया जा सकता है, इन संस्थानों में आवेदन होता है। शौकीन लोग हैं तो लोग उग्र और अकर्मण्य बने हुए हैं, समय बरबाद करते हैं और शक्तियों का पतन कर लेते हैं। चमड़ी की चमचमाहट के लिए स्नो, क्रीम, पाउडर, लिपिस्टिक आदि का प्रयोग करके लोग सुंदर बनने का प्रयास करते हैं। अपनी दादी को श्रृंगार-साधनों से पुनर्जीवित करने का प्रयास करना ओछेपन का प्रतीक है। भोले लोग यह भी नहीं मानते कि शारीरिक स्वास्थ्य स्वास्थ्य पर आधारित है। स्वास्थ्य अच्छा न हुआ तो चमकड़ी की सजावट कभी आपको संतोष नहीं दे पाई। कृपया इस भूल को समझने और समझने का प्रयास करें।

©lavanyabeauti
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