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सच्ची घटना की कहानी हमारे जीवन के रास्ते का वो

सच्ची घटना की कहानी



हमारे जीवन के रास्ते का वो इक मंजर जो आज भी याद आता रहता है
एक बार की बात है । कि मैं अपनी गाड़ी लोडर से लखनऊ से आगे महमूदा बाद जा रहा था । रात लगभग  2 बजे का टाइम था ।
मैं गाड़ी में सिर्फ अकेले म्यूजिक लगा कर गाने सुनते गुनगुनाते हुवे चला जा रहा था ।
महमूदा बाद लगभग 25 किलो मीटर बचा होगा रास्ता बिल्कुल वीरान था चारो तरफ बस काली रात का भयानक सन्नाटा और जानवरों की वो ख़ौफ़नाक आवाजें 
दूर दूर तक कोई नजर नही आ रहा था । मैं अपनी धुन में गाने गुनगुनाते हुवे चला जा रहा था ।
तभी अचानक दूर सड़क धुंधली लाइट में दो काली परछाईं सी नजर आती है । कोई दूर हांथ हिलाकर कर हमें रोकने की कोशिश कर रहा था । मैं काफी डर गया की इतनी रात को कौन होगा । धीरे धीरे वो वो काली परछाईं इंसान के रूप में नजर आने लगी तभी देखता हूँ की इक औरत अपनी गोद में इक बच्चा लिए हांथ हिलाकर मुझे रोक रही मैं डरा सहमा सा धीरे से अपनी गाड़ी रोता हूं । तभी वो औरत मेरे पास आकर रोती हुवी बोलती है । भईया मेरे बच्चे का एक्सीडेंट हो गया है मैंने देखा उस औरत की गोद में इक बच्चा था जिसके सर में चोट लगी थी । फिर हमने उस औरत से कहा हम इस रास्ते पर नए है । हमें नही मालूम की यहां खान डॉ. मिलेंगे तभी वो औरत बोली यहाँ से थोड़ी दूर पर ही एक डॉ. हैं उन्हीं के पास जल्दी चलिए हमनें भी देर ना करते हुवे गाड़ी को जल्दी से वहां से बढ़ा लिया । लगभग 5 किलो मीटर चलने के बाद एक अंधेरा मोड़ आता है औरत बोलती है हमसे की भईया बस मोड़ से मोड़ लीजिये बस 100 मीटर पर डॉ. का घर है । हमने भी गाड़ी मोड़ी और थोड़ी देर चलने के बाद देखा की दूर इक घर दिखाई दे रहा था । लेकिन वहां दूर दूर तक बस पेड़ ही पेड़ थे किसी दूसरे घर का नामोनिशान नही था मैं काफी डरा और उस औरत से पूछने के लिए जैसे ही सर घुमा कर देखता हूँ तो वो औरत और बच्चा दोनों गाड़ी में नही थे । मैं बहोत डर गया और फिर आगे की तरफ देखाता हूँ  तो वहां वो जो घर दिख रहा था वो घर भी नही था । मैं और भी डर गया । मैंने डरते डरते गाड़ी घुमाई और वहां से वहां से गाड़ी भगाते हुवे महमूदा बाद ना जाकर सीधे घर चला आया  । लेकिन वो मंजर आज भी अगर याद आ जाता है दिल दहल सा जाता है । दोबारा अगर उस तरफ जाना होता है तो मैं दिन दिन ही अपना काम खत्म करके चला आता हूँ । लेकिन वो मंजर आज भी आंखों के सामने घूमता रहता है ।

©Surendra kumar bharti सच्ची घटना
सच्ची घटना की कहानी



हमारे जीवन के रास्ते का वो इक मंजर जो आज भी याद आता रहता है
एक बार की बात है । कि मैं अपनी गाड़ी लोडर से लखनऊ से आगे महमूदा बाद जा रहा था । रात लगभग  2 बजे का टाइम था ।
मैं गाड़ी में सिर्फ अकेले म्यूजिक लगा कर गाने सुनते गुनगुनाते हुवे चला जा रहा था ।
महमूदा बाद लगभग 25 किलो मीटर बचा होगा रास्ता बिल्कुल वीरान था चारो तरफ बस काली रात का भयानक सन्नाटा और जानवरों की वो ख़ौफ़नाक आवाजें 
दूर दूर तक कोई नजर नही आ रहा था । मैं अपनी धुन में गाने गुनगुनाते हुवे चला जा रहा था ।
तभी अचानक दूर सड़क धुंधली लाइट में दो काली परछाईं सी नजर आती है । कोई दूर हांथ हिलाकर कर हमें रोकने की कोशिश कर रहा था । मैं काफी डर गया की इतनी रात को कौन होगा । धीरे धीरे वो वो काली परछाईं इंसान के रूप में नजर आने लगी तभी देखता हूँ की इक औरत अपनी गोद में इक बच्चा लिए हांथ हिलाकर मुझे रोक रही मैं डरा सहमा सा धीरे से अपनी गाड़ी रोता हूं । तभी वो औरत मेरे पास आकर रोती हुवी बोलती है । भईया मेरे बच्चे का एक्सीडेंट हो गया है मैंने देखा उस औरत की गोद में इक बच्चा था जिसके सर में चोट लगी थी । फिर हमने उस औरत से कहा हम इस रास्ते पर नए है । हमें नही मालूम की यहां खान डॉ. मिलेंगे तभी वो औरत बोली यहाँ से थोड़ी दूर पर ही एक डॉ. हैं उन्हीं के पास जल्दी चलिए हमनें भी देर ना करते हुवे गाड़ी को जल्दी से वहां से बढ़ा लिया । लगभग 5 किलो मीटर चलने के बाद एक अंधेरा मोड़ आता है औरत बोलती है हमसे की भईया बस मोड़ से मोड़ लीजिये बस 100 मीटर पर डॉ. का घर है । हमने भी गाड़ी मोड़ी और थोड़ी देर चलने के बाद देखा की दूर इक घर दिखाई दे रहा था । लेकिन वहां दूर दूर तक बस पेड़ ही पेड़ थे किसी दूसरे घर का नामोनिशान नही था मैं काफी डरा और उस औरत से पूछने के लिए जैसे ही सर घुमा कर देखता हूँ तो वो औरत और बच्चा दोनों गाड़ी में नही थे । मैं बहोत डर गया और फिर आगे की तरफ देखाता हूँ  तो वहां वो जो घर दिख रहा था वो घर भी नही था । मैं और भी डर गया । मैंने डरते डरते गाड़ी घुमाई और वहां से वहां से गाड़ी भगाते हुवे महमूदा बाद ना जाकर सीधे घर चला आया  । लेकिन वो मंजर आज भी अगर याद आ जाता है दिल दहल सा जाता है । दोबारा अगर उस तरफ जाना होता है तो मैं दिन दिन ही अपना काम खत्म करके चला आता हूँ । लेकिन वो मंजर आज भी आंखों के सामने घूमता रहता है ।

©Surendra kumar bharti सच्ची घटना