"हम तो सोते हैं उनके ख्वाबों के इंतजार में. लोग झूठ कहते हैं कि नींद कहां आती है प्यार में. वह ख्वाब थे जो हकीकत बनकर फिर आते हैं ख्वाब में. मुझ में वह समाए हैं ऐसे जैसे रोशनी हो मेहताब में. देखता हूं उनको पलकें झुकाते पलकें उठाते दिन हो चाहे रात में. सोचता हूं उनको सावन की हर एक बरसात में."