आज तेरी तारीफ़ में क्यों न मैं कुछ हसीन कसीदे पढूँ लिखूं कोई आज नज़्म नई या कोई दिलकश शायरी करूँ तेरे माथे की बिंदी निहारूं या नथुनी से आगाज करूँ तेरे सुरमे की स्याही बना क्यों न दिल के पन्नों को भरूँ रूख़्सारों पर छाई लालिमा को चुम्बन से चोरी करूँ या सुराही सी गरदन का होठों से अभिनंदन करूँ कंगनों की खन खन से क्यों न अपने गीतों में संगीत भरूँ या कानों में सजी बालियों से शब्दों को अपने अलंकृत करूँ पायल की झनकार को आज क्यों न अधरों से मैं बयां करूँ या कमर को सुशोभित करती करधन को आलिंगन करूँ असमंजस में फंसा हुआ कैसे और क्या क्या मैं करूँ निष्कर्ष यही निकालूं कि तेरे जर्रे जर्रे से मोहब्बत मैं करूँ #चौबेजी #चौबेजी #नज़्म #शायरी #नोजोटो #nojoto