आँखों की गहराई में बहता इक दरिया है, ख़ुद को ख़ुद में डुबोने का इक जरिया है। बेसुद! नामालूम, क्या ढूढ़ रही अपनी परछाई में, अरमानों की सिसकी दब गई, बजती शहनाई में। 🎀 Challenge-274 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 4 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए।