ओ कमबख़्त-ए-मौत तू वक्त बेवक्त क्यों आती है? कई सांसों के किस्से कई लम्हों के हिस्से बस एक पल में ही आकर तू सबको खा जाती है ओ कमबख़्त-ए-मौत तूजे मौत क्यों न आती है? ©ekta #नाराजगी #दुखद