न दिल जलाने के लिये लिखा, न दिल बहलाने के लिये लिखा। न 'इश्क़' दिखाने के लिये लिखा, न 'इश्क़' छुपाने के लिये लिखा। न ज़माने में अपनी पहचान बनाने, न जमाने को कुछ सुनने को लिखा। हमने तो जब भी लिखा कुछ भी, तो अपने दर्द मिटाने के लिये लिखा। क्यों लिखा