घर-घर ना रहा अब, नाम बोर्ड लग गया हर घर! कैसे ढूंढे किधर जाना अब, गली-कूचों में बट गया हर घर! चलो ढूंढे अब वो घर, जिसमे रहते थे हम सब, आपस में मिल-जुलकर! किधर खो गया अब वो घर, चूल्हे चौका मिट्टी वाला घर! चलो आओ ढूंढे फिर वही, गाय,बकरी वाला घर! वो शांत माहौल सा, चिड़िया के चहकने वाला घर! काश मिल जाए फिर वही, अपने गांव का प्यारा प्यारा घर!! -आकिब जावेद घर-घर ना रहा अब, नाम बोर्ड लग गया हर घर! कैसे ढूंढे किधर जाना अब, गली-कूचों में बट गया हर घर! चलो ढूंढे अब वो घर, जिसमे रहते थे हम सब, आपस में मिल-जुलकर! किधर खो गया अब वो घर,