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भीड़ नहीं बनना है मुझको, तन्हा ही मुझे चलने दो। लप

भीड़ नहीं बनना है मुझको, तन्हा ही मुझे चलने दो।
लपटे बन ना मुझे जलना, मुझे शमा बनकर जलने दो।।
मै नया बाशिंदा इस बस्ती में, इस बस्ती में मुझे ढलने दो।
कविता ही है पोषण मेरा, कविता पर मुझे पलने दो।।
शैल से से गिरती नदियों जैसे, कल-कल कर मुझे चलने दो।
भीड़ नहीं बनना है मुझको, तन्हा ही मुझे चलने दो।। भीड़ नहीं बनना है मुझको
भेड़ नहीं बनना है मुझको
भीड़ के हाथों नहीं सौंपना है ख़ुद को

#भीड़नहींबनना #collab #yqdidi   #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi #kps789
भीड़ नहीं बनना है मुझको, तन्हा ही मुझे चलने दो।
लपटे बन ना मुझे जलना, मुझे शमा बनकर जलने दो।।
मै नया बाशिंदा इस बस्ती में, इस बस्ती में मुझे ढलने दो।
कविता ही है पोषण मेरा, कविता पर मुझे पलने दो।।
शैल से से गिरती नदियों जैसे, कल-कल कर मुझे चलने दो।
भीड़ नहीं बनना है मुझको, तन्हा ही मुझे चलने दो।। भीड़ नहीं बनना है मुझको
भेड़ नहीं बनना है मुझको
भीड़ के हाथों नहीं सौंपना है ख़ुद को

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Collaborating with YourQuote Didi #kps789