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वो जो मंदिर में बैठा, मुस्कुरा रहा है ना! पत्थर से

वो जो मंदिर में बैठा,
मुस्कुरा रहा है ना!
पत्थर से भगवान बनने में,
खाई है उसने भी मार कई.....
प्रतिभा श्रीवास्तव अंश अंश की कलम से...
वो जो मंदिर में बैठा,
मुस्कुरा रहा है ना!
पत्थर से भगवान बनने में,
खाई है उसने भी मार कई.....
प्रतिभा श्रीवास्तव अंश अंश की कलम से...