अरे! ये पल्लव-बाल! सजा सुमनों के सौरभ-हार गूँथते वे उपहार; अभी तो हैं ये नवल-प्रवाल, नहीं छूटो तरु-डाल; विश्व पर विस्मित-चितवन डाल, हिलाते अधर-प्रवाल! छायावादी युग के स्तंभों में से एक श्रेष्ठ कवि और प्रकृति प्रेमी सुमित्रा नंदन पन्त जी को मेरा शत शत नमन 🙏 #सुमित्रानंदनपंत