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वृन्दा वृन्दावनी विश्वपावनी विश्वपूजिता। पुष्पसा

वृन्दा  वृन्दावनी विश्वपावनी विश्वपूजिता। 
पुष्पसारा नन्दिनी च तुलसी कृष्णजीवनी।।
एतन्नामास्टकं चैव स्तोत्रं नामार्थसंयुक्तम्।
य: पठेत् तां च सम्पूज्य सोस्वमेधफलं लभेत्।।

©Anuradha Priyadarshini
   भक्ति भजन

भक्ति भजन

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