हैं राग द्वेष और आग क्लेष समता विहीन है शाम हैं दाग शेष और भाग श्लेष क्षमता विहीन है नाम है स्वर्ग यहीं और धर्म यहीँ है सब तीर्थ और धाम है नर्क यहीँ यदि कर्म सही तो मिल जाएँगे राम #प्रकाश #प्रकाश