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"एक झूठ लाखों भरोसे को खत्म कर देता है ll बिन छुर

"एक झूठ लाखों भरोसे को खत्म कर देता है ll
 बिन छुरी, बिन तलवार के जख्म कर देता है ll

 सच दोनों हाथ से भरोसे का आशिर्वाद देता है, 
 झूठ भरोसे के आशीर्वाद को भस्म कर देता है ll

 रौशनी तो दिखाई देती है, पर रास्ता दिखाई नहीं देता, 
 झूठ चकाचौंध आंखों के सामने ऐसा छद्म कर देता है ll

 दिल और दिमाग दोनों मेरे अपने हैं मगर, 
 झूठ इन दोनों के दर्मियां रज्म कर देता है ll

 लालच चतुराई और नफरत से नाता जोडकर
 झूठ अपनी मोजूदगी की पूरी रस्म कर लेता है ll"

©Aditya kumar prasad
  मेरे अनकहे अल्फाज़

मेरे अनकहे अल्फाज़ #Shayari

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