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फल चढ़ाया फूल चढ़ाया

फल चढ़ाया फूल चढ़ाया                                                                               
 लड्डुओं का भोग लगाया                                                                                
फिर भी मेरे संकट हरने                                                                                 
प्रभु तू मेरे द्वार ना आया....                                                                             

                                                                          फल भी मेरा फूल भी मेरा
                                                                         सब कुछ तो है मैंने दिया
                                                                     फिर बता भक्त तूने 
                                                                           खुद से मुझे क्या चढ़ाया?
         
माना सब कुछ है तेरा                                                                                        
तुझसे ही मिला ,जो अर्पण है किया                                                                       
 पर तेरे हक का ,सब तो मैं क्या चढाऊँ                                                                   
इस जीवन में मैंने क्या कमाया ?                                                                       

                                                  मानव है तू ,भूल ना तू 
                                                                         बुद्धिमान प्राणी नाम से तुमने जन्म लिया
                                                 सद्गुणों की संरचना तू
                                                                  सर्व श्रेष्ठ मानव धर्म है तूने पाया...
     
जानता हूँ  मानता हूँ                                                                                        
हा प्रभू मानव में कहलाया                                                                                 
पर अभी भी ना समझा में                                                                                 
कौन से चढ़ावे कें बारे में  आपने समझाया                                                             
            
                                                              चढ़ावे का मतलब यह कि 
                                                                              भक्तों ने प्रेम स्वरूप कोई उपहार दिया
                                                                   पर ना में माँगता उपहार कोई 
                                                                    ना हैं  मुझे कोई  मोह माया...

तो क्या मैं करू ऐसा की खुश हो आप                                                                   
और ना दुखी रहे मेरा भी जीया                                                                           
बताओ रास्ता अब आप ही स्वामी                                                                       
आपको प्रसन्न करने का मैंने हैं निश्चय किया....                                                        


                                 हो जाऊँगा खुश में बहोत जब देखूँगा 
                                       मेरे हर भक्त ने इंसानियत को है अपनाया
                                          छोड़ अहंकार मानवी, बात मान प्रभू की तेरी
                                                     उज्जवल कर भविष्य अब, मानवता का नया लगा दिया....

©Parijat P bhakt bhagwan
#humantouch
फल चढ़ाया फूल चढ़ाया                                                                               
 लड्डुओं का भोग लगाया                                                                                
फिर भी मेरे संकट हरने                                                                                 
प्रभु तू मेरे द्वार ना आया....                                                                             

                                                                          फल भी मेरा फूल भी मेरा
                                                                         सब कुछ तो है मैंने दिया
                                                                     फिर बता भक्त तूने 
                                                                           खुद से मुझे क्या चढ़ाया?
         
माना सब कुछ है तेरा                                                                                        
तुझसे ही मिला ,जो अर्पण है किया                                                                       
 पर तेरे हक का ,सब तो मैं क्या चढाऊँ                                                                   
इस जीवन में मैंने क्या कमाया ?                                                                       

                                                  मानव है तू ,भूल ना तू 
                                                                         बुद्धिमान प्राणी नाम से तुमने जन्म लिया
                                                 सद्गुणों की संरचना तू
                                                                  सर्व श्रेष्ठ मानव धर्म है तूने पाया...
     
जानता हूँ  मानता हूँ                                                                                        
हा प्रभू मानव में कहलाया                                                                                 
पर अभी भी ना समझा में                                                                                 
कौन से चढ़ावे कें बारे में  आपने समझाया                                                             
            
                                                              चढ़ावे का मतलब यह कि 
                                                                              भक्तों ने प्रेम स्वरूप कोई उपहार दिया
                                                                   पर ना में माँगता उपहार कोई 
                                                                    ना हैं  मुझे कोई  मोह माया...

तो क्या मैं करू ऐसा की खुश हो आप                                                                   
और ना दुखी रहे मेरा भी जीया                                                                           
बताओ रास्ता अब आप ही स्वामी                                                                       
आपको प्रसन्न करने का मैंने हैं निश्चय किया....                                                        


                                 हो जाऊँगा खुश में बहोत जब देखूँगा 
                                       मेरे हर भक्त ने इंसानियत को है अपनाया
                                          छोड़ अहंकार मानवी, बात मान प्रभू की तेरी
                                                     उज्जवल कर भविष्य अब, मानवता का नया लगा दिया....

©Parijat P bhakt bhagwan
#humantouch
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Parijat P

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