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कल्पना सपनों में आकाश में चल कर चांद को छू कर आया

कल्पना सपनों में आकाश में चल कर चांद को छू कर आया हूं 
जो कल मैं नहीं रहा तो क्या नभ पर चल पाऊंगा
जो साथी जीवन में बिछड़ गए क्या उनको गले लगाऊंगा
जीते जी हरि दर्शन की इच्छा होती हर प्राणी की
जो जीवन में ना देखूं क्या मर कर उसको पा पाऊंगा ।। written long time back..just remembered a portion#nojotohindi#कल्पना#कविता#poetry#openpoetry
कल्पना सपनों में आकाश में चल कर चांद को छू कर आया हूं 
जो कल मैं नहीं रहा तो क्या नभ पर चल पाऊंगा
जो साथी जीवन में बिछड़ गए क्या उनको गले लगाऊंगा
जीते जी हरि दर्शन की इच्छा होती हर प्राणी की
जो जीवन में ना देखूं क्या मर कर उसको पा पाऊंगा ।। written long time back..just remembered a portion#nojotohindi#कल्पना#कविता#poetry#openpoetry
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