तुम बिन जलते हैं दिन मेरे और दहकती रात है। अल्हड़पन गुमसुम सा रहता और बहकती बात है। ( 01 ) मन मन्दिर के पट बन्द हुए पुलकित पल मेरे चन्द हुए। दर्शन की अभिलाषाओं में नैनों के कितने खण्ड हुए। ( 02 ) विरहा की अग्नि में जलती और सिसकती रात है। है रूह मेरी रूसवा रूसवा और तड़पती बात है। ( 03 ) तुम बिन जलते हैं दिन मेरे और दहकती रात है। अल्हड़पन गुमसुम रहता और बहकती बात है। 💐💐💐💐💐💐💐 मन मन्दिर के पट बन्द हुए पुलकित पल मेरे चन्द हुए। दर्शन की अभिलाषाओं में