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.....DIL..... मत पूछ मौहलत इज़हार-ऐ-दिल की , ये कई

.....DIL.....

मत पूछ मौहलत इज़हार-ऐ-दिल की ,
ये कई बार धड़कना छोड़ चुका है ।
ना पूछ राहें इश्क़-ऐ-इबादत की ,
ये अब उनसे नाता तोड़ चुका है ।
पर 'हार के काफिले' से तू पूछ मेरी मंज़िले ,
ये मुसाफिर अपनी तकदीरें अब मोड़ चुका है।
तुम ख्वाहिश रखना किसी उगते सूरज की,
ये दिल हर कतरा अब निचोड़ चुका हैं ।
और ज़माने की तौहीन का डर नही इसे ,
ये अपने मुस्तक़बिल में" तिरंगा' ओढ़ चुका हैं ।। मौहलत - समय , वक्त 
मुस्तक़बिल - भविष्य काल 
#दिल
#वतन 
#unique
.....DIL.....

मत पूछ मौहलत इज़हार-ऐ-दिल की ,
ये कई बार धड़कना छोड़ चुका है ।
ना पूछ राहें इश्क़-ऐ-इबादत की ,
ये अब उनसे नाता तोड़ चुका है ।
पर 'हार के काफिले' से तू पूछ मेरी मंज़िले ,
ये मुसाफिर अपनी तकदीरें अब मोड़ चुका है।
तुम ख्वाहिश रखना किसी उगते सूरज की,
ये दिल हर कतरा अब निचोड़ चुका हैं ।
और ज़माने की तौहीन का डर नही इसे ,
ये अपने मुस्तक़बिल में" तिरंगा' ओढ़ चुका हैं ।। मौहलत - समय , वक्त 
मुस्तक़बिल - भविष्य काल 
#दिल
#वतन 
#unique