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White बुलन्दी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती

White बुलन्दी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है,
बहुत ऊँची इमारत हर घड़ी ख़तरे में रहती है॥

बहुत जी चाहता है क़ैद-ए-जाँ से हम निकल जाएँ,
तुम्हारी याद भी लेकिन इसी मलबे में रहती है॥

यह ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता,
मैं जब तक घर न लौटूँ मेरी माँ सजदे में रहती है॥

अमीरी रेशम-ओ-कमख़्वाब में नंगी नज़र आई,
ग़रीबी शान से इक टाट के पर्दे में रहती है॥

मैं इन्साँ हूँ बहक जाना मेरी फ़ितरत में शामिल है,
हवा भी उसको छू कर देर तक नश्शे में रहती है॥

मुहब्बत में परखने जाँचने से फ़ायदा क्या है,
कमी थोड़ी-बहुत हर एक के शजरे में रहती है॥

ये अपने आप को तक़्सीम कर लेता है सूबों में,
ख़राबी बस यही हर मुल्क के नक़्शे में रहती है॥


- मुनव्वर राना

©Saurav Kumar #SunSet #शायरी #copyright #एहसास #जिन्दगी #follow4follow #share #Cmnt #Like
White बुलन्दी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है,
बहुत ऊँची इमारत हर घड़ी ख़तरे में रहती है॥

बहुत जी चाहता है क़ैद-ए-जाँ से हम निकल जाएँ,
तुम्हारी याद भी लेकिन इसी मलबे में रहती है॥

यह ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता,
मैं जब तक घर न लौटूँ मेरी माँ सजदे में रहती है॥

अमीरी रेशम-ओ-कमख़्वाब में नंगी नज़र आई,
ग़रीबी शान से इक टाट के पर्दे में रहती है॥

मैं इन्साँ हूँ बहक जाना मेरी फ़ितरत में शामिल है,
हवा भी उसको छू कर देर तक नश्शे में रहती है॥

मुहब्बत में परखने जाँचने से फ़ायदा क्या है,
कमी थोड़ी-बहुत हर एक के शजरे में रहती है॥

ये अपने आप को तक़्सीम कर लेता है सूबों में,
ख़राबी बस यही हर मुल्क के नक़्शे में रहती है॥


- मुनव्वर राना

©Saurav Kumar #SunSet #शायरी #copyright #एहसास #जिन्दगी #follow4follow #share #Cmnt #Like
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Saurav Kumar

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