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फूलो पर मोती शबनम तुम, प्रेम मुहब्बत रब अनबन

फूलो  पर मोती  शबनम  तुम,  प्रेम  मुहब्बत रब  अनबन तुम;
तुम   कस्तूरी   जैसी   महको,   कुदरत   के  सारे   रंजन  तुम।

तुम   जिद  जैसे  बचपन  वाली, तुम्ही मतलब  बस तुम ही तुम;
तुम   तक   रस्ता  तीरथ  जैसा,  पूजा  टीका  कुमकुम  भी  तुम।

आंखे,   नीदे,  राते,   बातें,  बिस्तर, तकिया,   कंबल  हो   तुम ;
तुम क्या जानो तुम क्या क्या हो, मुझसे जानो क्या क्या हो तुम ।

मेरे   कमरे   की   तस्वीरें,    जाने   क्यों   मुझ   पर  हंसती  है;
मैं   छोटे   कस्बे   का   लड़का,   वो   दिल्ली  वाली  लड़की  है।

पर मुझको अच्छी लगती है ।।१५।।

¢ रामवीर गंगवार






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©Ramveer Gangwar #dilliwaliladki #ramveergangwar 

#apart
फूलो  पर मोती  शबनम  तुम,  प्रेम  मुहब्बत रब  अनबन तुम;
तुम   कस्तूरी   जैसी   महको,   कुदरत   के  सारे   रंजन  तुम।

तुम   जिद  जैसे  बचपन  वाली, तुम्ही मतलब  बस तुम ही तुम;
तुम   तक   रस्ता  तीरथ  जैसा,  पूजा  टीका  कुमकुम  भी  तुम।

आंखे,   नीदे,  राते,   बातें,  बिस्तर, तकिया,   कंबल  हो   तुम ;
तुम क्या जानो तुम क्या क्या हो, मुझसे जानो क्या क्या हो तुम ।

मेरे   कमरे   की   तस्वीरें,    जाने   क्यों   मुझ   पर  हंसती  है;
मैं   छोटे   कस्बे   का   लड़का,   वो   दिल्ली  वाली  लड़की  है।

पर मुझको अच्छी लगती है ।।१५।।

¢ रामवीर गंगवार






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©Ramveer Gangwar #dilliwaliladki #ramveergangwar 

#apart