अपनापन के एहसास तले रौंद दिया गया मेरा वजूद, जो सदा रहते थे अपने यारो की महफ़िल में मौजूद। जिनका स्थान रखता था जेहन दिल के बड़े ही करीब, वो ही पर कुतरने की लगाते थे हर अंकटमय तरकीब। वक्त रहते भाँप नही पाया उनका द्विरँगी मुखौटा, जिनके तन पर सुसज्जित रहता था सतरँगी अंगौछा। इक नव्य आयाम दे चले अनभिज्ञ विस्वासघात का, ये दिल ताउम्र पीर ढोएगा इस गट्ठर-ए-आघात का। ✍️आशुतोष यादव #alone #अपनो_का_जख्म #कातिल_यारी #feeling #bad_community #nojoto #शायरी❤️ #डायरी