आज सुबह से देख रहा हूँ सोशियल मीडिया के जितने भी प्लेटफार्म ( विकल्प ) है जैसे कि सर्वाधिक लोकप्रिय फेसबुक , व्हाट्सऐप , इंस्टाग्राम ऐवम ट्विटर इत्यादि इत्यादि सभी पर पाश्चात्य सभ्यता के अनुसरण फल स्वरूप हम भारतीय " हैप्पी मदर्स डे " हैप्पी मदर्स डे कर रहे हैं अर्थात हम स्वंय ये मान चुके की हम मानशिक रूप से पश्चिम के गुलाम है तभी तो जिस जननी माँ से ही हमारा आस्तित्व है उसके लिये हम पश्चिम की भाँति वर्ष में मात्र एक दिन का स्नेह प्रेम का दिखावा कर के बाकी के 364 दिन हम अपनी जननी माँ के प्रति संवेदना विहीन होने जा रहे हैं ये भारतीय सँस्कृति तो नही है मित्रों वरन भारतीय संस्कृति तो ये कहती हैं की यदि आप माता पिता के साथ ही हो यदि रोज प्रातः आपको उनके दर्शन का सौभाग्य मिलता हैं तो नित्य प्रति दिन आप उन्हें प्रातः चरण वंदन करो न कि ये हैप्पी मदर्स डे वाला ढोंग करो और यदि परिस्थितियों के कारणवश आप माता जी पिता जी से कोई भी कारणवश दूर रह रहे हो तो कम से कम उनका मन तो मत दुखाओ उससे बड़ी कोई बात नही हैं | नमन इस धरा पर माँ के रूप में मौजूद ईश्वर को " ( माँ को नमन कर लो कोई ईश्वर को नमन करने की जरूरत नही ये मेरी व्यक्तिगत राय है जरूरी नही आप सब इससे सहमत हो ) "