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सुमन से सौरभ निकालो, हो सुगंधित रग पवन की। ज्योति

सुमन से सौरभ निकालो,
हो सुगंधित रग पवन की।
ज्योति की धारा बहा दो,
मलिनता हो दूर मन की।।
भावनाएं   हों   अकिंचन 
शांति का उदघोष कर दो क्रूरता की नीति छोडो,
प्रीति का संगीत भर दो।। राष्ट्रीय सदभाव
सुमन से सौरभ निकालो,
हो सुगंधित रग पवन की।
ज्योति की धारा बहा दो,
मलिनता हो दूर मन की।।
भावनाएं   हों   अकिंचन 
शांति का उदघोष कर दो क्रूरता की नीति छोडो,
प्रीति का संगीत भर दो।। राष्ट्रीय सदभाव
plsoni7406882417705

Pl Soni

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