एक आँसू मेरे आँखों से रुख़सत क्यू नही होता... नादानी में हुयी थी कभी कुछ बातें और मुलाकातें उन जज्बातों को मेरे दिल से निचोड़ा क्यू नही जाता... पलक झपकते छायी थी यहाँ तन्हाईयाँ उन तन्हाइयों से नाता मेरा तोड़ा क्यू नही जाता... अब गैर से क्या गिला शिकवा करे हम अपने दर्द का आलम हमसे ही छोड़ा नही जाता... बस एक प्रयास... Nida Fazli Ji ke shabdo se judane ka.... 🙏🏻🙏🏻 आइए कुछ लिखते हैं। मेरी पंक्ति के साथ अपनी पंक्तियाँ जोड़ें... ( ग़ज़ल )