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#OpenPoetry साँवरे जिंदगी की नाव में आ सांवरे मै

#OpenPoetry  साँवरे जिंदगी की नाव में 
आ सांवरे मैं सँवर के बैठू,
टूटे हुए स्वप्नों की सिसकी को जकड़ के बैठू,

कुछ फूलो को बिखेर के देखु,
हवायों में उड़ते प्रकाश को देखु,
तितलियो के अकाश को देखु 

नदिया के बहते नीर के साथ बह के देखु मैं
उस बिखरते रेत में बिखर के देखु मैं
उस किनारे के तंवर को छू के देखु मै,

पक्षीयो के साथ उन्मुक्त गगन में भटकूँ,
गहरे समंदर की मोतियों पर जपटू,
एक उचे पेड़ की शाखा पे प्रियें तेरे साथ मैं लटकु,
आ साँवरे मै इस सफर  में सँवर के बैठू।

माना प्रिये है  भवँर में उलझी ये नाव तेरी,
पर हैं यकीनन ये सफर सुहाना प्रिये,
ये जिंदगी तो सवेरा है साँवरे,
घनगोर रतिया के बाद ही तो धूप खिली है ना प्रिये,
आ साँवरे में तेरी नाव में सँवर के बैठू मैं

                                             **शिवानी भाटिया** #OpenPoetry साँवरे सँवर के बैठू
#love #life  Pallavi Kumari Shilpa Kumari Jha Rakesh Kumar Himanshu Aisha poet Vishal Saxena
#OpenPoetry  साँवरे जिंदगी की नाव में 
आ सांवरे मैं सँवर के बैठू,
टूटे हुए स्वप्नों की सिसकी को जकड़ के बैठू,

कुछ फूलो को बिखेर के देखु,
हवायों में उड़ते प्रकाश को देखु,
तितलियो के अकाश को देखु 

नदिया के बहते नीर के साथ बह के देखु मैं
उस बिखरते रेत में बिखर के देखु मैं
उस किनारे के तंवर को छू के देखु मै,

पक्षीयो के साथ उन्मुक्त गगन में भटकूँ,
गहरे समंदर की मोतियों पर जपटू,
एक उचे पेड़ की शाखा पे प्रियें तेरे साथ मैं लटकु,
आ साँवरे मै इस सफर  में सँवर के बैठू।

माना प्रिये है  भवँर में उलझी ये नाव तेरी,
पर हैं यकीनन ये सफर सुहाना प्रिये,
ये जिंदगी तो सवेरा है साँवरे,
घनगोर रतिया के बाद ही तो धूप खिली है ना प्रिये,
आ साँवरे में तेरी नाव में सँवर के बैठू मैं

                                             **शिवानी भाटिया** #OpenPoetry साँवरे सँवर के बैठू
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