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बड़ रही है उम्र जैसे, वैसे उलझनें भी बड़ रही हैं, अब

बड़ रही है उम्र जैसे, वैसे उलझनें भी बड़ रही हैं,
अब बेहद याद आती हैं, बचपन की मस्तियाँ मेरी।

ऊँचा उड़ने की चाह नहीं, आज़ाद रहने की ख़्वाहिश है,
ज़िम्मेदारी के पिंजरे में कैद है, ख़्वाहिशों की चिड़िया मेरी।

गैरों की चिंता कौन करे, जब अपनों की ढ़ेरों परवाह है,
गिनती के लोगों से बनी है, छोटी सी दुनियाँ मेरी।

लुका-छुपी का खेल है जीवन, बड़े वक़्त से ढूँढ रहा हुँ,
जाने कहाँ छुपी बैठी है जिंदगी की खुशियाँ मेरी। #तकिया #चिट्ठियाँ #बतियाँ #कश्तियाँ #सदियाँ #bestyqhindiquotes #yqdidi #ifyoulikeitthenletmeknow
बड़ रही है उम्र जैसे, वैसे उलझनें भी बड़ रही हैं,
अब बेहद याद आती हैं, बचपन की मस्तियाँ मेरी।

ऊँचा उड़ने की चाह नहीं, आज़ाद रहने की ख़्वाहिश है,
ज़िम्मेदारी के पिंजरे में कैद है, ख़्वाहिशों की चिड़िया मेरी।

गैरों की चिंता कौन करे, जब अपनों की ढ़ेरों परवाह है,
गिनती के लोगों से बनी है, छोटी सी दुनियाँ मेरी।

लुका-छुपी का खेल है जीवन, बड़े वक़्त से ढूँढ रहा हुँ,
जाने कहाँ छुपी बैठी है जिंदगी की खुशियाँ मेरी। #तकिया #चिट्ठियाँ #बतियाँ #कश्तियाँ #सदियाँ #bestyqhindiquotes #yqdidi #ifyoulikeitthenletmeknow