बेटी हर बेटी के मन में एक सवाल, क्या मैं भी भर सकतीं हूँ उँची उड़ान... क्यूँ चार दिवारी में कैद रहूँ, अपने सपने आखिर क्यूँ ना जीयूँ... नाम कमाना किसे पसन्द नहीं, क्या हमें अपनी पहचान बनाने का हक नहीं ... अरे तुम आराम करो , मैं नहीं चाहता तूम काम करो, यह कह के पहले घर बैठाया, फिर चुले के बोझ तले दबाया .. जिस बेटी से घर संभल सकता है, तुम हाथ तो बढ़ाओ दोस्त, पुरा देश बदल सकता है ....!! ©I.A.S dreamerneha 🌟 #beti Zindagi Vîçky Rãjpût ✍️