मानव ही ऐसा प्राणी है जो स्वयं विवेक के आधार पर उचित अनुचित का निर्धारण कर सकता है किसी भी कर्म के उचित अनुचित होने का निर्धारण उस परिस्थिति के आधार पर होता है जिसमें वह किया जाता है जैसे समाज में हमेशा से ही पाप पुण्य पर तर्क वितर्क चल रहा है अक्सर लोग पाप पुणे के यकीन ही अपने कर्मों को रखते हैं मान्यता यह है कि कर्म के अनुरूप ही हमारे पाप पुण्य का निर्धारण होता है किंतु ऐसा नहीं है ©Ek villain #MemeBanao मानव ही ऐसा प्राणी है जो सोया विवेक के आधार पर उचित अनुचित का निर्धारण करता है