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गुज़रते वक़्त ने क्या क्या न चारा-साज़ी की वगरना

गुज़रते वक़्त ने क्या क्या न चारा-साज़ी की 

वगरना ज़ख़्म जो उस ने दिया था कारी था।। #दर्द शायरी
गुज़रते वक़्त ने क्या क्या न चारा-साज़ी की 

वगरना ज़ख़्म जो उस ने दिया था कारी था।। #दर्द शायरी