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माना वो आवारा था कहीं दूर चमकता जो एक सितारा था कभ

माना वो आवारा था
कहीं दूर चमकता जो एक सितारा था
कभी तुमने भी मुरादें उससे मांगी थीं
कभी दुआओं में उसे पुकारा था

संग उसके कितनी शामें गुज़ारी थीं
उसके संग दिलकश हर नज़ारा था
वो लहरों के जैसी इठलाती थी
मैं खामोश दरिया का किनारा था

फिर प्रेम की डोरी ऐसे टूट गई
मानो जिंदगी ही हमसे रूठ गई
फिर टूटे सपनों के बोझ तले
बड़ी मुश्किलों से ख़ुद को सम्हाला था

धीर-धीरे वो फ़साना बन गया
जो किस्सा कभी हमारा था
माना वो आवारा था
कहीं दूर चमकता जो एक सितारा था...
 #awara #sitara #yqhindi #mypoetry #lifepoetry #hindipoetry #hindishayari #yqdidi
माना वो आवारा था
कहीं दूर चमकता जो एक सितारा था
कभी तुमने भी मुरादें उससे मांगी थीं
कभी दुआओं में उसे पुकारा था

संग उसके कितनी शामें गुज़ारी थीं
उसके संग दिलकश हर नज़ारा था
वो लहरों के जैसी इठलाती थी
मैं खामोश दरिया का किनारा था

फिर प्रेम की डोरी ऐसे टूट गई
मानो जिंदगी ही हमसे रूठ गई
फिर टूटे सपनों के बोझ तले
बड़ी मुश्किलों से ख़ुद को सम्हाला था

धीर-धीरे वो फ़साना बन गया
जो किस्सा कभी हमारा था
माना वो आवारा था
कहीं दूर चमकता जो एक सितारा था...
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