तू वफा करे या दगा करे , सब हमें मंजूर है। तेरी नफरतें गुस्ताखियाँ सब हमें कबूल है। यूँ नजरें झुका के ना गुजर हर मुलाकात पर। नाकाम हुई तो क्या हुआ, तेरी मोहब्बत अपमान नहीं मेरा गरूर है। .sehgal # मंजूर