मेरी बंसी मुझे पुकार जरा, तू जहाँ भी है जैसी भी है। नहीं खिलौना काठी का, कृष्ण की तू प्रियसी भी है। छोड़ दिया माखन खाना, मैंने रास रचाना छोड़ दिया। जब से तू दूर हुई मुझसे, वृंदावन जाना छोड़ दिया। तू इतना समझ ले बस बंसी मेरी हालत तेरे जैसी है। नहीं खिलौना काठी का, कृष्ण की तू प्रियसी भी है। मुझे सुदर्शन प्रिय नहीं हैं, बंसी तू मुझको प्यारी है। लौट के तू आजा मुझ तक ये कृष्ण सदा आभारी है। मेरी हालत बिना तेरे बंसी, जल बिन मछली जैसी हैं। नहीं खिलौना काठी का, कृष्ण की तू प्रियसी भी है। पूछ रही पटरानी मुझसे, उसको कैसे समझाऊँ मैं। तुमसे क्या मेरा रिश्ता है, दुनिया को क्या बतलाऊं मैं। तुम्हें खिलौना सोच रहे, दुनिया की सोच भी कैसी हैं। नहीं खिलौना काठी का, कृष्ण की तू प्रियसी भी है। #bansuri..