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मुस्तकबिल अपना सजाने को बसेरा छोड़ आए इंदरगढ़ की श

मुस्तकबिल अपना सजाने को बसेरा छोड़ आए
इंदरगढ़ की शाम कुलैथ का सवेरा छोड़ आए हैं


जब घर से निकले थे तो केवल दोस्त न छूटे
हम अपना  स्वर्ग  से  प्यारा बसेरा छोड़ आए हैं


कहने  को  तो  बिजली  आती  है  गाॅंवों  में
जब हम घर से  निकले  थे अंधेरा छोड़ आए हैं 


टोकरी  भी  लाये  हैं, हम  साॅंप  भी लाये हैं
मुसीबत  ये  है  कि  हम  सपेरा  छोड़  आए हैं 


कपड़े  भी  लाये  हैं , हम बिस्तर भी लाये हैं
जिसने दिल चुराया  था वो लुटेरा छोड़ आए हैं 


मॉं की दुआएं आयीं थीं छोड़ने कई मीलों तक
मॉं की ऑंखों में चिंता,उदास चेहरा छोड़ आए हैं

©Anoop Kumar Mayank Anoop kumar mayank's poetry 😊❤️💫💯✨
#anoopkumarmayank #anoopindergarh 

#sadak
मुस्तकबिल अपना सजाने को बसेरा छोड़ आए
इंदरगढ़ की शाम कुलैथ का सवेरा छोड़ आए हैं


जब घर से निकले थे तो केवल दोस्त न छूटे
हम अपना  स्वर्ग  से  प्यारा बसेरा छोड़ आए हैं


कहने  को  तो  बिजली  आती  है  गाॅंवों  में
जब हम घर से  निकले  थे अंधेरा छोड़ आए हैं 


टोकरी  भी  लाये  हैं, हम  साॅंप  भी लाये हैं
मुसीबत  ये  है  कि  हम  सपेरा  छोड़  आए हैं 


कपड़े  भी  लाये  हैं , हम बिस्तर भी लाये हैं
जिसने दिल चुराया  था वो लुटेरा छोड़ आए हैं 


मॉं की दुआएं आयीं थीं छोड़ने कई मीलों तक
मॉं की ऑंखों में चिंता,उदास चेहरा छोड़ आए हैं

©Anoop Kumar Mayank Anoop kumar mayank's poetry 😊❤️💫💯✨
#anoopkumarmayank #anoopindergarh 

#sadak